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Ram Navami 2017

Ram Navami also called Ramnavami is a major Hindu festival celebrated on the ninth day of Chaitra Navaratri festival. It is observed in honour of Lord Rama, seventh avatar of Vishnu’s birth in the human form. Ram Navami 2017 will fall on 5th of April, Wednesday with many Indian states celebrating Ramnavami on 4th of April as well. The Ram Navami 2017 Puja Shubh Muhurat time will be spread over the course of two days as it falls on the ninth day of the bright half (Shukla Paksha), according to the Hindu calendar. Ram Navami, the birthday celebrations of Lord Rama is a matter of great significance for the devotees who read the history of the famous Hindu festival. A complete schedule of Rama Navami 2017 Date along with Shubh Muhurat timings and Vrat Vidhi according to the Hindu calendar is mentioned below.
Ram Navami is marked with Shri Ram’s birth in the holy land of Ayodhya to recitals of his legendary heroics in the form of mantra and bhajans. Along with Lord Rama’s birthday celebrations, Rathayatras also known as Shobha Yatras of Shri Rama, Goddess Sita, his brother Lakshmana and Hanuman are taken out on the chariot processions. Worshippers who observe fast on Ram Navami follow a proper Vrat and Puja Vidhi.

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बदला लेकर रहुंगा अपमान का

भय मुझको नहीं है अवसान का, बदला लेकर ही रहूंगा अपमान का। जब तक मेघ ना बरसेंगे चातक पानी ना पियेंगे, जल कितना भरा हो दरियाव में । सब कुछ छीन लिया जालिम ने,लगा है बातों में फुसलाने, पस बढ़ता ही जाता है दिल के धाव में ।। करता जाता हूँ उपाय,कैसे भूलूँगा अन्याय, सिर तोड़ के रहुँगा झूठे मान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का । मन में जलती है चिताएँ उड़ती देख पताकाएँ, किसे युग परिवर्तन पर नाज है । हटकर बढ़ने की तैयारी बाजी जीतने को हारी, मेरे गिरने में भी तो कोई राज है ।। अपने भाग्य को बदलूँगा,प्रण की आग में जलूँगा, वक्त सामने खड़ा है बलिदान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का । मैं इतिहासों की पुकार,कौन मुझको दे अधिकार, बल से भोगता रहा हूँ यह वसुन्धरा । जलते जौहर की बहार,यहीं पर शाकों की मनुहार, पकी है आजादी की आग में परम्परा ।। मस्तक कैसे मैं झुकाऊँ माँ का दुध क्यों लजाऊँ, मान भंग ही करूंगा तूफान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का ।। जिनके धाव लगे नवासी फिर भी खड़ग रही थी प्यासी, शूल चुभती मेरी हार के इतिहास की । जो था देश का रखवाला मिला उसको देश निकाला, याद आती है महान ...

बाग बिगाड़े बांदरो (मारवाड़ी कविता)

_*मारवाड़ी कविता*_____ बाग बिगाङे बांदरो, सभा बिगाङे फूहङ । लालच बिगाङे दोस्ती करे केशर री धूङ ।। जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा कोयल दोय।। चंदण की चिमठी भली, गाडो भलो न काठ। चातर तो एक ई भलो, मूरख भला न साठ।। गरज गैली बावली, जिण घर मांदा पूत । सावन घाले नी छाछङी, जेठां घाले दूध ।। पाडा बकरा बांदरा, चौथी चंचल नार । इतरा तो भूखा भला, धाया करे बोबाङ ।। भला मिनख ने भलो सूझे कबूतर ने सूझे कुओ । अमलदार ने एक ही सूझे किण गाँव मे कुण मुओ ।। 🙏🙏

राजस्थानी कविता‌ ‍‌: मन री इच्छा

हाथी दीज्ये घोड़ा दीज्यै, गधा गधेड़ी मत दीज्यै. सुगरां री संगत दे दीज्यै, नशा नशेड़ी मत दीज्यै. घर दीज्यै घरवाळी दीज्यै, खींचाताणीं मत दीज्यै. जूणं बळद री दे दीज्ये, तेली री घाणीं मत दीज्यै. काजळ दीज्यै, टीकी दीज्यै, पोडर वोडर चाहे मत दीज्यै. पतली नार पदमणीं दीज्यै, तूं बुलडोजर मत दीज्यै. टाबर दीज्यै, टींगर दीज्यै, बगनां बोगा मत दीज्यै. जोगो एक देय दीज्यै, पणं दो नांजोगा मत दीज्यै. भारत री मुद्रा दै दीज्यै, डालर वालर मत दीज्यै. कामेतणं घर वाली दीज्यै, ब्यूटी पालर मत दीज्यै. कैंसर वैंसर मत दीज्यै, तूं दिल का दौरा दे दीज्यै. जीणों दौरो धिक ज्यावेला, मरणां सौरा दे दीज्यै. नेता और मिनिस्टर दीज्यै, भ्रष्टाचारी मत दीज्यै. भारत मां री सेवा दीज्यै, तूं गद्दारी मत दीज्यै. भागवत री भगती दीज्यै, रामायण गीता दीज्यै. नर में तूं नारायण दीज्यै, नारी में सीता दीज्यै. मंदिर दीज्यै, मस्जिद दीज्यै, दंगा रोळा मत दीज्यै. हाथां में हुनर दे दीज्यै, तूं हथगोळा मत दीज्यै. दया धरम री पूंजी दीज्यै, वाणी में सुरसत दीज्यै. भजन करणं री खातर दाता, थोड़ी तूं फुरस...