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भारत में दोबारा गुलाम बनने की अपार सम्भावनाएं

भारत में दोबारा गुलाम बनने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं पूरी पोस्ट पढ़ेगें तो समझ में आएगा की क्यों?
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यह बात दुनिया का हर देश जानता है की भारत एक शानदार बाजार है शायद इसीलिए हर विदेशी कंपनी भारत में आकर ब्यवसाय करना चाहती है

क्योंकि उन्हें पता है कि इस देश की जनता बहुत मूर्ख है,  इन्हे डिस्काउंट करके जहर भी बेच दो वह भी खरीद कर रख लेंगे,  मुफ्त में गोला बारूद मिल जाये तो उसे भी रख लेंगे, देश और देश भक्ति तो सिर्फ़ चौराहे मे खडे हो बोलने के लिए रह गयी है।

नोट बंदी हुई थी,  सभी पैसे वाले काले को सफेद करने मे इस कदर जुटे हुए थे,  जैसे किसी को देश निकाला होता है तो वह सब कुछ अनाप शनाप कीमत में बेच कर भागता है,  ठीक उसी तरह,  टैक्स जमा नही करना पडे चाहे सोना 85 हजार रुपये तोला ही खरीद लो चाहे फिर वो भले 25 हजार रूपये हो जाये,

जिसके पास पैसा था वो ठिकाने लगाने मे ब्यस्त था,  जिसके पास नही था वो कमीशन बेस पर ठिकाने लगवाने मे मदद कर रहा था,

जिसको उसका भी सौभाग्य नही मिला वो या तो नोट बंदी की बुराई या अच्छाई बताने मे ब्यस्त था,

इस सब के बीच कभी किसी ने नही सोचा कि सरकार ने देश हित मे कोई कदम उठाया है तो हमारी भूमिका क्या होनी चाहिए,

आज फिर वही स्थिति उत्पन्न हो गई है,

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी किया है कि,  1 अप्रैल से कोई भी BSIII माडल की गाडी नही बेची जायेगी न ही उनका रजिस्ट्रेशन होगा,

माननीय न्यायालय ने स्पस्ट रूप से कहा है कि,  जब सभी आटोमोबाइल कंपनियों को पता था कि 1 अप्रैल से BSIII गाडियां बंद हो जायेंगी तो उन्होने BS IV की तकनीकी विकसित क्यो नही की है,  एवं निर्माण क्यों नहीं किया है,

BSIII का निर्माण क्यों किया जा रहा था,

सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि,  जनता के स्वास्थ्य एवं जीनव से बडा ब्यापार नही हो सकता है,

वर्तमान मे 8.2 लाख BSIII माडल की गाडि़यां खडी थी आज से तीन दिन पहले तक,

पिछले तीन दिन मे हालात फिर वही नोट बंदी की तरह है, 

कल तक मोटरसाइकिल 10-15 हजार की छूट मे बिक रही थी, 
कल की दिनांक मे एक आंकडे के मुताबिक इंदौर शहर मे 5000 गाडि़यां बिकी है,  जो की 6 महीने मे बिकती हैं,  उससे दुगनी गाडियां 8 घंटे मे बिक गई थी,

सोचिये जिस जनता के हित के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है,  उसी जनता ने दो दिन के अंदर लगभग गाडियां खरीद कर, 

प्रदूषण फैलाने को तैयार हो गये है।

भाड में जाये सर्वोच्च न्यायालय भाड मे जाये देश भाड में जाये देश के वो निर्दोष लोग जिनसे गाडी घोड़ा से कोई लेना देना नहीं है,  फिर भी वह आपके द्वारा किये गये अपराध की सजा भोगेगा।

काश देश हित मे जनता दो दिन सब्र कर लेती तो,

न सिर्फ़ हिन्दुस्तान की आटोमोबाइल कंपनियों को बल्कि दुनिया को एक स्पस्ट संदेश जाता कि हिन्दुस्तान की जनता देश और देश हित के लिए कितनी तत्पर रहती है,

दूसरा कोई भी औद्योगिक घराना या कोई भी और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मे जारी किये दिशा निर्देश को कभी भी हल्के से नही लेता।

किन्तु डिस्काउंट मे अगर देते हो तो हम अपनी क्या पूरी दुनिया के मौत का सामान खरीद सकते हैं।

हम सच्चे हिन्दुस्तानी है,  और सभी विदेशी हमे बेहतर जानते हैं,

हम मे अभी भी,  मानसिक रूप से गुलाम बनने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।

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