खेतां करूं हळोतियो बीजूं मूंग ग्वार भीगो मरूधर आज म्हारो मुळ्क रह्या नर नार धोरा धरती उखल गिया मोतीयों री आस में बाजर बोयो खेत में सिटो चढ्यो आकाश में पाणी तरसते थार में इन्द्रदेव मेहर करी चांदी जेड़ी इण धरती ने कर दीनी है हरी हरी ढोर चरे अड़ाव में मिनख खपे खेत में सगळा ने निहाल किया निवण करूं इण रेत ने काचर मतीरा होवसी तिल आळे तेड़े में टाबर टींगर जीमसी बैठा बैठा खेड़े में किण विद मैं बखाण करूं आखर म्हारा कम पड़े शीश नवाऊं ईं धरती नें जिणसूं धान पेट पडे़ !! ऋतुराज वंसत के आगमन पर मंगलकामनाएँ !🙏🙏🙏🙏 🍀🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌴🌵🍀 🌻🌱🌱🌱🌱🌱🌻
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