कौन करेगा मेरे राजस्थान की बराबरी?
होलेण्ड जितने बच्चे तो
सैकैण्ड्री मे फेल हो जाते हैं...!
पोलेण्ड की पोपुलेशन से ज्यादा
कच्छे सेल हो जाते हैं.....!
राजस्थान दुबई से दो गुणा और
नार्वे से चार गुणा बङा है.....!
आस्ट्रिया से आठ गुणा
स्वीडन से साठ गुणा बडा है.....!
मेक्सिको से जस्ट आगे
ब्राजील के पीछे खडा है.....!
आई मीन दुनिया के
आधे से ज्यादा देशों से बडा है.....!
सम्पूर्ण विश्व के मानचित्र पर
त्याग और तपस्या का
एक गौरवशाली इतिहास लेकर खडा है.....!
जिसकी बलिदानी गाथा गाना
किसी कवि के वश की बात नहीं.....!
हल्दीधाटी पर कलम चले,
यह कविता की औकात नहीं.....!
यूँ घास की रोटी
किसी ग्रंथ पर लिखना भी समझौता है.....।
जौहर की ज्वाला कागज पर
यह आगजनी को न्यौता है.....!
कैशरिया लिपी वीरों की,
जहाँ रक्तिम वर्ण तराशा है.....!
बाँकडली मूँछे सिर्फ समझती,
तलवारों की भाषा है.....!
सिर्फ मौत का वरण यहाँ
मनहरण छंद कहलाता है......!
हर जख्म यहाँ पर अलँकार
बलिदान बंध कहलाता है.....!
विशेष व्याकरण वीरों का,
है शब्द कोष मे केवल जय.....!
विराम चिन्ह सिर शत्रु के,
प्रत्यय का मतलब है प्रलय.....!
संधि ना सीखी सपने में और
समास द्वंद्व के सीखे हैं.....!
शुद्धि सदा वचन की और
पर्याय युध्द के लिखे हैं.....!
पन्ना पर पन्ना कौन भरे,
स्याही से चन्दन कौन लिखे.....!
बिन कलम झुकाये महाराणा का
अभिनन्दन कौन लिखे.....!
मीरां की श्रद्धा कौन लिखे!
हाङा की निष्ठा कौन लिखे.....!
हठ हम्मीर, दुर्गा-साँगा की
प्राण प्रतिष्ठा कौन लिखे.....!
कौन लिखे गौरा बादल!
कौन लिखे सैनिक का शव!
कौन लिखे शैतान सिंह और
कौन लिखे जेपी यादव!
चेतावनी के चुँगटियो से चेत गया
वो राजस्थान !
शेरशाह को मुठ्ठी बाजरा रेत गया
वो राजस्थान !
चार बाँस चोबीस गज से भेद गया
वो राजस्थान !
पीथल रा आखर राणा का मन छेद गया
वो राजस्थान!
जय जय हो मेरे राजस्थान और राजस्थानी .....
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होलेण्ड जितने बच्चे तो
सैकैण्ड्री मे फेल हो जाते हैं...!
पोलेण्ड की पोपुलेशन से ज्यादा
कच्छे सेल हो जाते हैं.....!
राजस्थान दुबई से दो गुणा और
नार्वे से चार गुणा बङा है.....!
आस्ट्रिया से आठ गुणा
स्वीडन से साठ गुणा बडा है.....!
मेक्सिको से जस्ट आगे
ब्राजील के पीछे खडा है.....!
आई मीन दुनिया के
आधे से ज्यादा देशों से बडा है.....!
सम्पूर्ण विश्व के मानचित्र पर
त्याग और तपस्या का
एक गौरवशाली इतिहास लेकर खडा है.....!
जिसकी बलिदानी गाथा गाना
किसी कवि के वश की बात नहीं.....!
हल्दीधाटी पर कलम चले,
यह कविता की औकात नहीं.....!
यूँ घास की रोटी
किसी ग्रंथ पर लिखना भी समझौता है.....।
जौहर की ज्वाला कागज पर
यह आगजनी को न्यौता है.....!
कैशरिया लिपी वीरों की,
जहाँ रक्तिम वर्ण तराशा है.....!
बाँकडली मूँछे सिर्फ समझती,
तलवारों की भाषा है.....!
सिर्फ मौत का वरण यहाँ
मनहरण छंद कहलाता है......!
हर जख्म यहाँ पर अलँकार
बलिदान बंध कहलाता है.....!
विशेष व्याकरण वीरों का,
है शब्द कोष मे केवल जय.....!
विराम चिन्ह सिर शत्रु के,
प्रत्यय का मतलब है प्रलय.....!
संधि ना सीखी सपने में और
समास द्वंद्व के सीखे हैं.....!
शुद्धि सदा वचन की और
पर्याय युध्द के लिखे हैं.....!
पन्ना पर पन्ना कौन भरे,
स्याही से चन्दन कौन लिखे.....!
बिन कलम झुकाये महाराणा का
अभिनन्दन कौन लिखे.....!
मीरां की श्रद्धा कौन लिखे!
हाङा की निष्ठा कौन लिखे.....!
हठ हम्मीर, दुर्गा-साँगा की
प्राण प्रतिष्ठा कौन लिखे.....!
कौन लिखे गौरा बादल!
कौन लिखे सैनिक का शव!
कौन लिखे शैतान सिंह और
कौन लिखे जेपी यादव!
चेतावनी के चुँगटियो से चेत गया
वो राजस्थान !
शेरशाह को मुठ्ठी बाजरा रेत गया
वो राजस्थान !
चार बाँस चोबीस गज से भेद गया
वो राजस्थान !
पीथल रा आखर राणा का मन छेद गया
वो राजस्थान!
जय जय हो मेरे राजस्थान और राजस्थानी .....
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