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एक अजीब बुध्दीजीवी वर्ग

एक अजीब बुद्धिजीवी वर्ग पैदा हुआ है इस देश मे ॥
जो देखने सुनने मे समान्य मानव लगता है। ये वही वर्ग है जो केवल बोलना जानता  है सुनना नही चाहता  क्योकि उनकी नजर मे सही सोचने का संवैधानिक अधिकार केवल उन्ही का हैं ।
ये वही वर्ग है ज़ो आकाश मे पतंग के मांझे से पक्षियो के पर कट जाने पर संवेदना व्यक्त करता है पर वही संवेदना जब आकाश से  धरातल पर आती है तो टुँडे कबाब के रूप मे दूसरा  रूप धारण कर लेती हैं ॥
ये वही वर्ग हैं ज़ो भारत को माता के रूप मे चित्रित करने पर गहरी चिंता व्यक्त करता है पर देवी देवताओ के अश्लील व नग्न चित्रण को कलाकृति बताता है ॥
गांव व देहात मे छोटी बीमारियो मे10 - 20 रूपए लेकर इलाज करने वाले डॉक्टर को अवैध बताता है लेकिन जब  बात अवैध बूचड़खानो की आती है तो वही वर्ग अवैध बूचड़खानो को रोजगार से जोडता है  ॥
jnu मे भारत विभाजन के नारे पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देता हैं ॥
ये वही वर्ग है जो भगवान राम के अस्तित्व पर तो सवाल उठाता हैं लेकिन जब सवाल   मोहम्मद या इसा पर उठता  है तो असहिष्णु हो जाता है। ज़िसकी नज़र मे रोजा इफतार secular हैं और फलाहार साम्प्रदायिक ये वही वर्ग है जिनके लिए टोपी पहनना ही secularism है ओर ना पहनना साम्प्रदायिकता ॥
एक तरफ नारी सशक्तिकरण की बात करता है दुसरी तरफ तीन तलाक और चार विवाह को निजी मामला बताकर पल्ला झाड़ता है । ज़िनके लिये घरो मे रहने वाली स्त्रिया आजाद नही हैं बल्कि नशे मे धुत होकर बीयर बार मे गिर जाना आजादी है। नग्न  होकर रैंप पर चलना आधुनिकता है ज़िनके लिये मात्रत्व एक कारावास है और स्वच्छंद उपभोग स्वतंत्रता॥
ये वर्ग मुम्बई मे बीयर बार मे नारियो के नाचने के प्रतिबंध पर सवाल उठाता है। औरंगजेब (एक अत्याचारी) रोड का नाम बदलने को एक विशेष समुदाय के लिए खतरा बताता है । गीता  एव योग को पाठयक्रम मे शामिल करने को भगवाकरण बताता है पर भारत माता को डायन कहने पर हलक से आवाज नही निकालता॥
काश्मीर मे पत्थरबाजो के लिये मानव अधिकारो की वकालत करता है लेकिन शहीदो के लिये एक शब्द नही निकालता॥
गणेश पूजा को तो पर्यावरण विरोधी बताता है लेकिन उन्हे  जानवरो के खून का रंग सफेद दिखता है॥
जलीकटु    पर   जिस जीव के अधिकार की बात करता है उसी जीव  की निमृम हत्या धार्मिक स्वतंत्रता बना दी जाती है। ये वही वर्ग है जो हरियाणा मे हुए या न हुए काँड को एक जाति से जोडता है पर आज तक वही वर्ग आतंकवाद का धर्म या जाति नही खोज पाता उनके लिए हिन्दू जाट है, ठाकुर है, ब्राह्मण है, गुजर है, दलित है पर एक विशेष समुदाय केवल अल्पसंख्यक  है
आप कुछ भी नही कर सकते बस दाँत किटकिटाइए, खीझ निकालिये, सिर दीवार से फोडिये, सर खूझाइये, आँखे निकालिये, दांत निपोरिये, क्योंकि आप बुद्धिजीवी नही है ।

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राजस्थानी कविता‌ ‍‌: मन री इच्छा

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