रामनवमी की सुबह सुबह हरि ओम पंवार जी की कविता को जब हेडफोन लगा कर सुना तो रोंगटे खड़े हो गए.. ये महज़ एक इतेफाक़ था कि आज का दिन रामनवमी का दिन है जिस दिन ये कविता सुनी मैंने..।।🚩🚩
कुछ पंक्तियाँ यहां बयां कर रहा हूं-
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चर्चा है अख़बारों में, टी. वी. में बाजारों में,
डोली, दुल्हन, कहारों में, सूरज, चंदा, तारों में,
गाँव-गली-गलियारों में, दिल्ली के दरबारों में ।।
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बाबर हमलावर था मन में गढ़ लेना,
इतिहासों में लिखा है पढ़ लेना ।
जो तुलना करते हैं बाबर-राम की,
उनकी बुद्धि है निश्चित किसी गुलाम की ।।
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राम हमारे गौरव के प्रतिमान हैं
राम हमारे भारत की पहचान हैं
राम हमारे घट-घट के भगवान् हैं
राम हमारी पूजा हैं अरमान हैं
राम दवा हैं रोग नहीं हैं सुन लेना
राम त्याग हैं भोग नहीं हैं सुन लेना
राम दया हैं क्रोध नहीं हैं जग वालो
राम सत्य हैं शोध नहीं हैं जग वालों
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राम मिलें हैं वचन निभाती आयु को
राम मिले हैं घायल पड़े जटायु को
राम मिलेंगे अंगद वाले पाँव में
राम मिले हैं पंचवटी की छाँव में
राम मिलेंगे मर्यादा से जीने में
राम मिलेंगे बजरंगी के सीने में
राम मिले अनुसुइया की मानवता को
राम मिले सीता जैसी पावनता को
राम मिले ममता की माँ कौशल्या को
राम मिले हैं पत्थर बनी आहिल्या को
राम नहीं मिलते मंदिर के फेरों में
राम मिले शबरी के झूठे बेरों में
मै भी इक सौंगंध राम की खाता हूँ
मै भी गंगाजल की कसम उठाता हूँ
मेरी भारत माँ मुझको वरदान है
मेरी पूजा है मेरा अरमान है
मेरा पूरा भारत धर्म-स्थान है
मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है.. 🇮🇳🇮🇳
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रामनवमी की सभी को बधाई ।।
#जय_श्री_राम 🚩🚩
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