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मां की इच्छा

  _*🔴🎷🌺 *माँ की इच्छा* 🌺🎷🔵*_

   _महीने बीत जाते हैं ,_
   _साल गुजर जाता है ,_
   _वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर ,_
   _मैं तेरी राह देखती हूँ।_

                   _आँचल भीग जाता है ,_
                   _मन खाली खाली रहता है ,_
                   _तू कभी नहीं आता ,_
                   _तेरा मनि आर्डर आता है।_

                             _इस बार पैसे न भेज ,_
                             _तू खुद आ जा ,_
                             _बेटा मुझे अपने साथ ,_
                         _अपने 🏡घर लेकर जा।_

 _तेरे पापा थे जब तक ,_
 _समय ठीक रहा कटते ,_
 _खुली आँखों से चले गए ,_
 _तुझे याद करते करते।_

               _अंत तक तुझको हर दिन ,_
               _बढ़िया बेटा कहते थे ,_
               _तेरे साहबपन का ,_
               _गुमान बहुत वो करते थे।_

                        _मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,_
                        _आकर तू देख जा ,_
                        _बेटा मुझे अपने साथ ,_
                        _अपने 🏡घर लेकर जा।_

_अकाल के समय ,_
 _जन्म तेरा हुआ था ,_
 _तेरे दूध के लिए ,_
 _हमने चाय पीना छोड़ा था।_

               _वर्षों तक एक कपडे को ,_
               _धो धो कर पहना हमने ,_
               _पापा ने चिथड़े पहने ,_
               _पर तुझे स्कूल भेजा हमने।_

                         _चाहे तो ये सारी बातें ,_
                         _आसानी से तू भूल जा ,_
                         _बेटा मुझे अपने साथ ,_
                         _अपने 🏡घर लेकर जा।_

 _घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,_
 _झाडू पोछा मैं करूंगी ,_
  _खाना दोनों वक्त का ,_
  _सबके लिए बना दूँगी।_

            _नाती नातिन की देखभाल ,_
            _अच्छी तरह करूंगी मैं ,_
            _घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,_
            _ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।_

                        _तेरे 🏡घर की नौकरानी ,_
                        _ही समझ मुझे ले जा ,_
                        _बेटा मुझे अपने साथ ,_
                        _अपने 🏡घर लेकर जा।_

 _आँखें मेरी थक गईं ,_
 _प्राण अधर में अटका है ,_
 _तेरे बिना जीवन जीना ,_
 _अब मुश्किल लगता है।_

                 _कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,_
                 _तुझसे तो मैं माँ हुई ,_
                 _बता ऐ मेरे कुलभूषण ,_
                 _अनाथ मैं कैसे हुई ?_

_अब आ जा तू.._
_एक बार तो माँ कह जा ,_
_हो सके तो जाते जाते_
 _वृद्धाश्रम गिराता जा।_
              _बेटा मुझे अपने साथ_
              _अपने 🏡घर लेकर जा_

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बदला लेकर रहुंगा अपमान का

भय मुझको नहीं है अवसान का, बदला लेकर ही रहूंगा अपमान का। जब तक मेघ ना बरसेंगे चातक पानी ना पियेंगे, जल कितना भरा हो दरियाव में । सब कुछ छीन लिया जालिम ने,लगा है बातों में फुसलाने, पस बढ़ता ही जाता है दिल के धाव में ।। करता जाता हूँ उपाय,कैसे भूलूँगा अन्याय, सिर तोड़ के रहुँगा झूठे मान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का । मन में जलती है चिताएँ उड़ती देख पताकाएँ, किसे युग परिवर्तन पर नाज है । हटकर बढ़ने की तैयारी बाजी जीतने को हारी, मेरे गिरने में भी तो कोई राज है ।। अपने भाग्य को बदलूँगा,प्रण की आग में जलूँगा, वक्त सामने खड़ा है बलिदान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का । मैं इतिहासों की पुकार,कौन मुझको दे अधिकार, बल से भोगता रहा हूँ यह वसुन्धरा । जलते जौहर की बहार,यहीं पर शाकों की मनुहार, पकी है आजादी की आग में परम्परा ।। मस्तक कैसे मैं झुकाऊँ माँ का दुध क्यों लजाऊँ, मान भंग ही करूंगा तूफान का ।। बदला लेकर ही रहूँगा अपमान का ।। जिनके धाव लगे नवासी फिर भी खड़ग रही थी प्यासी, शूल चुभती मेरी हार के इतिहास की । जो था देश का रखवाला मिला उसको देश निकाला, याद आती है महान ...

बाग बिगाड़े बांदरो (मारवाड़ी कविता)

_*मारवाड़ी कविता*_____ बाग बिगाङे बांदरो, सभा बिगाङे फूहङ । लालच बिगाङे दोस्ती करे केशर री धूङ ।। जीभड़ल्यां इमरत बसै, जीभड़ल्यां विष होय। बोलण सूं ई ठा पड़ै, कागा कोयल दोय।। चंदण की चिमठी भली, गाडो भलो न काठ। चातर तो एक ई भलो, मूरख भला न साठ।। गरज गैली बावली, जिण घर मांदा पूत । सावन घाले नी छाछङी, जेठां घाले दूध ।। पाडा बकरा बांदरा, चौथी चंचल नार । इतरा तो भूखा भला, धाया करे बोबाङ ।। भला मिनख ने भलो सूझे कबूतर ने सूझे कुओ । अमलदार ने एक ही सूझे किण गाँव मे कुण मुओ ।। 🙏🙏

राजस्थानी कविता‌ ‍‌: मन री इच्छा

हाथी दीज्ये घोड़ा दीज्यै, गधा गधेड़ी मत दीज्यै. सुगरां री संगत दे दीज्यै, नशा नशेड़ी मत दीज्यै. घर दीज्यै घरवाळी दीज्यै, खींचाताणीं मत दीज्यै. जूणं बळद री दे दीज्ये, तेली री घाणीं मत दीज्यै. काजळ दीज्यै, टीकी दीज्यै, पोडर वोडर चाहे मत दीज्यै. पतली नार पदमणीं दीज्यै, तूं बुलडोजर मत दीज्यै. टाबर दीज्यै, टींगर दीज्यै, बगनां बोगा मत दीज्यै. जोगो एक देय दीज्यै, पणं दो नांजोगा मत दीज्यै. भारत री मुद्रा दै दीज्यै, डालर वालर मत दीज्यै. कामेतणं घर वाली दीज्यै, ब्यूटी पालर मत दीज्यै. कैंसर वैंसर मत दीज्यै, तूं दिल का दौरा दे दीज्यै. जीणों दौरो धिक ज्यावेला, मरणां सौरा दे दीज्यै. नेता और मिनिस्टर दीज्यै, भ्रष्टाचारी मत दीज्यै. भारत मां री सेवा दीज्यै, तूं गद्दारी मत दीज्यै. भागवत री भगती दीज्यै, रामायण गीता दीज्यै. नर में तूं नारायण दीज्यै, नारी में सीता दीज्यै. मंदिर दीज्यै, मस्जिद दीज्यै, दंगा रोळा मत दीज्यै. हाथां में हुनर दे दीज्यै, तूं हथगोळा मत दीज्यै. दया धरम री पूंजी दीज्यै, वाणी में सुरसत दीज्यै. भजन करणं री खातर दाता, थोड़ी तूं फुरस...